नरेंद्र मोदी के हाली में संसदीय भाषण में जवाहरलाल नेहरू पर की गई आलोचना के बाद, प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोदी के दावों का जवाब दिया, जिसमें नेहरू को उनके कथनों का गलत रूप से प्रस्तुत करने का आरोप लगाया। प्रियंका ने मोदी के बयान को “शर्मनाक” और भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के प्रति भाजपा की कड़वाहट का प्रतिबिंब माना। उन्होंने यह भी दर्शाया कि नेहरू का भाषण, जो 1959 में स्वतंत्रता दिवस पर दिया गया था, भारतीयों में स्वायत्तता और मेहनत को बढ़ावा देने का उद्देश्य रखता था, विशेष रूप से एक समय जब देश ब्रिटिश शासन के अत्याचार और भूखमरी की स्थिति से जूझ रहा था।
नेहरू का भाषण, हिंदी में दिया गया, एकता और साझेदारी की आवश्यकता को महसूस कराता है, ताकि चुनौतियों का सामना किया जा सके। उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत ने आठ वर्षों में जो कठिनाइयों का सामना किया है, वह उसके पहले वर्षों की तुलना में कठिन था, क्योंकि इसमें हमें अपनी कमजोरियों और अधिकारों से आजादी चाहिए थी। उन्होंने यह भी कहा कि जब हम किसी भी देश को आगे बढ़ाने की कोशिश करते हैं, तो हमें उस देश की गरीबी से निपटना होता है। वे ने महसूस किया कि विकास केंद्रों के अलावा हमें गाँवों का भी ध्यान रखना चाहिए, जहां के लोग अक्सर चुप रहते हैं, और उन्हें उनकी आवाज को सुनाने का मौका नहीं मिलता है।
नेहरू ने भी उत्साह और मेहनत की महत्ता को बताया, और यह दिखाया कि देश की प्रगति केवल अधिकारियों की वजह से नहीं हो सकती, बल्कि अपने ही प्रयासों के कारण होती है। उन्होंने आगे कहा कि देश को विकसित होने के लिए हमें अपने पैरों पर खड़ा होना होगा, और सरकारी भूमिका को न्यूनतम रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि हमें कठिनाइयों का सामना करने के लिए तैयार होना चाहिए, ताकि हमारा देश और हमारी समाजसेवाओं की प्रगति को बाधित नहीं किया जाए।
नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में नेहरू के
विचारों को उल्टा प्रस्तुत किया, जिससे अनेक विवाद उत्पन्न हुआ। प्रियंका गांधी वाड्रा ने इस पर पलटवार किया और मोदी की आलोचना की। उन्होंने नेहरू के विचारों को सामान्य जनता के साथ शेयर किया और इसे “अवमानना” के रूप में चिह्नित किया। प्रियंका का बयान आगे भी आम जनता के बीच विवाद का कारण बना रहा। इसके साथ ही, नेहरू के विचारों के महत्त्व को भी एक बार फिर सामने लाया गया और उन्हें नई पीढ़ियों को समझाने का महत्वपूर्ण संदेश दिया गया।
नेहरू के विचार और मोदी के भाषण में दिए गए विवादास्पद बयानों के माध्यम से, भारतीय राजनीति में एक बार फिर राजनीतिक विवाद उत्पन्न हुआ है, जो राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण सांसदों और राजनीतिक नेताओं के बीच में चर्चा के रूप में समझी जा रही है। इससे सामाजिक और राजनीतिक दृष्टि से भारतीय जनता को नए विचारों और आधुनिक दृष्टिकोणों की ओर प्रेरित किया जा सकता है।
संक्षिप्त में, नेहरू के विचारों और मोदी के भाषण के विवाद में, भारतीय राजनीति और समाज के महत्वपूर्ण मुद्दों पर ताजगी आई है, जो एक बार फिर देश की राजनीतिक वातावरण को प्रभावित कर सकती है।
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