देहरादून। मुख्यमंत्री ने हरिद्वार भूमि घोटाले की विस्तृत जांच सतर्कता विभाग (Vigilance Department) से कराए जाने के निर्देश दिए हैं । इस मामले में अब तक दस अधिकारी,कर्मचारियों को सस्पेंड किया जा चुका है।करोड़ों के भूमि घोटाले से संबंधित विक्रय पत्र (Sale Deed) को निरस्त करते हुए भूस्वामियों को दिए गए धन की रिकवरी सुनिश्चित करने के सख्त निर्देश भी दिए गए हैं। आईएएस रणवीर सिंह चौहान की कड़ी जांच में दोषी पाए गए 10 अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है, जबकि 2 कार्मिकों का सेवा विस्तार समाप्त कर दिया गया है। विजिलेंस जांच के फैसले के बाद भ्र्ष्टाचार से जुड़े सभी आरोपियों पर विभिन्न धाराओं में मुकदमा दर्ज हो सकता है। मुख्यमंत्री ने तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी के कार्यकाल के दौरान नगर निगम हरिद्वार में हुए सभी कार्यों का विशेष ऑडिट कराए जाने के निर्देश दिए हैं ताकि वित्तीय अनियमितताओं की समुचित जांच की जा सके।मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के प्रति “जीरो टॉलरेंस” की नीति पर दृढ़ता से कार्य कर रही है और किसी भी स्तर पर भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मंगलवार को मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने नगर निगम हरिद्वार में हुए जमीन घोटाले पर सख्त रुख अपनाते हुए, दो आईएएस, एक पीसीएस अधिकारी सहित सात अधिकारियों को निलंबन आदेश पकड़ा दिए गए हैं। इस मामले में तीन अधिकारी पूर्व में निलंबित हो चुके हैं, जबकि दो की पूर्व में सेवा समाप्त की जा चुकी है। इस तरह इस प्रकरण में अब तक 10 अधिकारी निलंबित किए जा चुके हैं। हरिद्वार नगर निगम द्वारा ग्राम सराय में कूड़े के ढेर के पास स्थित अनुपयुक्त 2.3070 हैक्टेयर भूमि को करोड़ों रुपये में खरीदने पर सवाल उठने के बाद, मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस प्रकरण की जांच के आदेश दिए थे। सचिव रणवीर सिंह चौहान ने मामले की प्रारंभिक जांच कर, रिपोर्ट 29 मई को ही शासन को सौंपी थी। इसी जांच रिपोर्ट के आधार पर मुख्यमंत्री ने कार्मिक विभाग को दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए थे। .इस पर कार्मिक एवं सतर्कता विभाग ने मंगलवार को सभी सात आरोपित अधिकारियों को निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद, कार्मिक विभाग ने मंगलवार को हरिद्वार नगर निगम के तत्कालीन प्रशासक और मौजूदा डीएम कर्मेंद्र सिंह, तत्कालीन नगर आयुक्त वरुण चौधरी, हरिद्वार के तत्कालीन एसडीएम अजयवीर सिंह, वरिष्ठ वित्त अधिकारी निकिता बिष्ट, वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक विक्की, रजिस्ट्रार कानूनगो राजेश कुमार, हरिद्वार तहसील के मुख्य प्रशासनिक अधिकारी कमलदास को निलंबित कर दिया है। कर्मेन्द्र सिंह जिलाधिकारी और तत्कालीन प्रशासक नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), वरुण चौधरी तत्कालीन नगर आयुक्त, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), अजयवीर सिंह तत्कालीन, उपजिलाधिकारी हरिद्वार (निलंबित), निकिता बिष्ट – वरिष्ठ वित्त अधिकारी, नगर निगम हरिद्वार (निलंबित), विक्की – वरिष्ठ वैयक्तिक सहायक (निलंबित), राजेश कुमार – रजिस्ट्रार कानूनगो, तहसील हरिद्वार (निलंबित), कमलदास –मुख्य प्रशासनिक अधिकारी, तहसील हरिद्वार (निलंबित), पूर्व में रविंद्र कुमार दयाल- प्रभारी सहायक नगर आयुक्त (सेवा समाप्त), आनंद सिंह मिश्रवाण- प्रभारी अधिशासी अभियंता (निलंबित) लक्ष्मी कांत भट्ट्- कर एवं राजस्व अधीक्षक (निलंबित), दिनेश चंद्र कांडपाल- अवर अभियंता (निलंबित),वेदपाल- सम्पत्ति लिपिक (सेवा विस्तार समाप्त) पर कारवाई हो चुकी है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का कहना है कि हमारी सरकार ने पहले ही दिन से स्पष्ट किया है कि लोकसेवा में “पद’ नहीं बल्कि ‘कर्तव्य’ और ‘जवाबदेही’ महत्वपूर्ण हैं। चाहे व्यक्ति कितना भी वरिष्ठ हो, अगर वह जनहित और नियमों की अवहेलना करेगा, तो कार्रवाई निश्चित है। हम उत्तराखंड में भ्रष्टाचार मुक्त नई कार्य संस्कृति विकसित करना चाहते हैं। सभी लोक सेवकों को इसके मानकों पर खरा उतरना होगा।
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