April 23, 2025

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बेचैन ममता, निशाने पर कांग्रेस

बेचैन ममता, निशाने पर कांग्रेस

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी जितना हमला भाजपा पर नहीं कर रही हैं उससे ज्यादा हमला कांग्रेस पर कर रही हैं। कांग्रेस नेता भी ममता को निशाना बना रहे हैं हालांकि राहुल गांधी ने सद्भाव दिखाया है लेकिन प्रदेश के नेताओं पर कोई रोक नहीं है। तभी ऐसा लग रहा है कि बंगाल में ममता का मुकाबला कांग्रेस के साथ है। उन्होंने पहले लेफ्ट मोर्चे को निशाना बनाया और कहा वह आतंकवादी पार्टी है। उन्होंने कांग्रेस को आगाह किया कि वह लेफ्ट के साथ नहीं दिखे। ममता ने यहां तक कहा कि अगर लेफ्ट के नेता राहुल गांधी की यात्रा में शामिल होंगे तो तृणमूल कांग्रेस उससे अलग रहेगी। हालांकि लेफ्ट के  नेता नहीं शामिल होते तब भी ममता को यात्रा से दूर ही रहना था।

उन्होंने राहुल की यात्रा बंगाल में घुसने से पहले ही कह दिया था कि वे अकेले सभी सीटों पर लड़ेंगी। सवाल है कि जब उन्होंने अकेले सभी सीटों पर लडऩे का फैसला कर लिया है तो कांग्रेस की यात्रा में कौन शामिल होता है और कौन नहीं शामिल होता है इससे उनको क्या मतलब है। लेकिन उनको मतलब है क्योंकि उनको लग रहा है कि कांग्रेस पार्टी नुकसान पहुंचा सकती है। उनकी ज्यादा चिंता इस बात की है कि अगर कांग्रेस और लेफ्ट मिल कर लड़े तो मुस्लिम मतदाताओं में उसका बड़ा मैसेज होगा। इसका असर मुर्शिदाबाद और माल्दा में होगा, जहां कई सीटें तृणमूल कांग्रेस हार सकती है। अगर दोनों पार्टियों ने मुस्लिम वोट का थोड़ा सा भी बंटवारा करा दिया तो ममता की पार्टी को बड़ा नुकसान हो जाएगा। तभी वे बेचैन हैं। वे कांग्रेस को साथ लाना भी चाह रही हैं और दो से ज्यादा सीट भी देना नहीं चाह रहे हैं। सारी लड़ाई इसी बात की है कि कांग्रेस कम सीट लेकर गठबंधन में आ जाए और लेफ्ट को अकेले छोड़ दिया जाए।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।