April 23, 2025

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पाकिस्तान में खुल्लमखुल्ला

पाकिस्तान में खुल्लमखुल्ला

तमाम रुकावटों के बावजूद इमरान मतदाताओं में बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं। यह बात कुछ चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से भी जाहिर हुई है। जाहिर है, सैन्य नेतृत्व आशंकित है कि कहीं पीटीआई जीत गई, तो इमरान की सत्ता-वापसी हो सकती है। पाकिस्तान में सेना ने पटकथा लिख दी है। बाकी सभी किरदार उसके मुताबिक अपना रोल अदा कर रहे हैं। इन किरदारों में न्यायपालिका भी है। पाकिस्तान के 77 साल के इतिहास में कभी-कभार ही अदालतें सेना की लिखी पटकथा से हटी हैं। 1970 के दशक में ऐसी ही एक पटकथा के तहत तब के देश के सबसे लोकप्रिय नेता जुल्फिकार अली भुट्टो को फांसी पर लटका दिया गया था। अब कुछ-कुछ वैसा ही आज के सबसे लोकप्रिय नेता इमरान खान के साथ दोहराया जा रहा है। ऐसी चर्चा है कि सेना ने इमरान खान को प्रधानमंत्री पद से हटाने के बाद विदेश चले जाने का विकल्प दिया था। लेकिन खान ने देश में रहते हुए संघर्ष करने का फैसला किया। तो इसकी कीमत उन्हें चुकानी पड़ रही है। दो दिन में दो मामलों में उन्हें लंबी कैद की सजा सुनाई गई है।

बुधवार को इमरान और उनकी पत्नी बुशरा खान को तोशाखाना मामले में 14 साल जेल की सजा सुनाई गई। एक दिन पहले ही साइफर केस यानी कूटनीतिक संदेश को सार्वजनिक करने के इल्जाम में इमरान को 10 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। इस्लामाबाद की एक अदालत ने इमरान और बुशरा दोनों पर भारी जुर्माना भी लगाया गया है। साथ ही दोनों की किसी सार्वजनिक पद पर नियुक्ति पर 10 साल तक के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। असल मकसद यही है। इमरान खान और उनकी पार्टी पहले से कहते रहे हैं कि सैन्य नेतृत्व ने पूर्व प्रधानमंत्री की गिरफ्तारी की पृष्ठभूमि तैयार की, ताकि वे चुनाव ना लड़ सकें। पाकिस्तान में आठ फरवरी को आम चुनाव होने वाले हैं। इमरान खान के चुनाव लडऩे पर पहले ही प्रतिबंध लगाया चुका है। उनकी पार्टी पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से उसका चुनाव निशान (क्रिकेट का बैट) छीन लिया गया है। इसके बावजूद इमरान मतदाताओं के बीच बेहद लोकप्रिय बने हुए हैं। यह बात कुछ चुनाव पूर्व जनमत सर्वेक्षणों से भी जाहिर हुई है। जाहिर है, सैन्य नेतृत्व आशंकित है कि कहीं तमाम रुकावटों के बावजूद पीटीआई जीत गई, तो इमरान की सत्ता-वापसी हो सकती है। इसलिए अब उन्हें कैद की सज़ाएं सुनाई जा रही हैं।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।