April 24, 2025

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नरेंद्र मोदी ने की पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ, कहा- ‘मनमोहन सिंह ने व्हीलचेयर पर भी काम किया’

नरेंद्र मोदी ने की पूर्व प्रधानमंत्री की तारीफ, कहा- ‘मनमोहन सिंह ने व्हीलचेयर पर भी काम किया’

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार (8 फरवरी) को राज्यसभा में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के योगदान की सराहना की और कहा कि, ‘मनमोहन सिंह ने ‘व्हीलचेयर में भी काम किया।’ प्रधानमंत्री ने यह बात राज्यसभा के सेवानिवृत्त सदस्यों की विदाई के दौरान सदन को संबोधित करते हुए कही। पीएम मोदी ने कहा ‘मैं आज डॉ. मनमोहन सिंह को याद करना चाहता हूं, उनका योगदान बहुत बड़ा रहा है। इतने लंबे समय तक उन्होंने जिस तरह से इस सदन और देश का मार्गदर्शन किया है, उसके लिए डॉ. मनमोहन सिंह को हमेशा याद किया जाएगा।’

मोदी ने आगे कहा, ‘मुझे याद है कि दूसरे सदन में, मतदान के दौरान, यह ज्ञात था कि सत्ता पक्ष जीतेगा, लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह अपनी व्हीलचेयर पर आए और अपना वोट डाला। यह एक सदस्य के सतर्क रहने का उदाहरण है। सवाल ये नहीं है कि वो किस को ताकत देने आए थे। मैं मानता हूं वो लोकतंत्र को ताकत देने आए थे।’

दरअसल, रिटायर हो रहे राज्यसभा सदस्यों को गुरुवार को दिल्ली में सभापति जगदीप धनखड़ के आवास पर विदाई दी जा रही है। इससे पहले आज सुबह 10 बजे राज्यसभा के सदस्यों ने राष्ट्रपति भवन में एक ग्रुप फोटो में हिस्सा लिया। शाम 6.30 बजे वे सभापति के आवास पर सेवानिवृत्त सदस्यों के विदाई समारोह में शामिल होंगे।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।