April 24, 2025

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राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की दिल्ली मेट्रो की सवारी, यहां देखें वीडियो

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने की दिल्ली मेट्रो की सवारी, यहां देखें वीडियो

नई दिल्ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को दिल्ली की लाइफलाइन ​मेट्रो (Delhi Metro News) की सवारी की। वीडियो में आप देख सकते हैं कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Droupadi Murmu) दिल्ली मेट्रो में सफर कर रही हैं। वीडियो में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू पीली साड़ी और मस्टर्ड कलर की स्वेटर पहने नजर आईं।

बता दें कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू 14 फरवरी को राजस्थान जाएंगी। वह मेहंदीपुर बालाजी में दर्शन-पूजन करेंगी। साथ ही इसी दिन वह डूंगरपुर जिले का दौरा भी करेंगी। राष्ट्रपति मुर्मू डूंगरपुर जिले के बेणेश्वर में राजिविका की ओर से ‘लखपति दीदी योजना’ के तहत महिला सम्मेलन में भाग लेंगी। वहीं राष्ट्रपति का मंदिरों में दर्शन का भी कार्यक्रम है। ग्रामीण विकास और पंचायती राज विभाग के एसीएस अभय कुमार ने विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कार्यक्रम की तैयारियों की समीक्षा की।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।