April 24, 2025

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सिर्फ रोज डे ही नहीं, वेलेंटाइन डे पर भी दे गुलाब, जानें हर रंग के रोज का मतलब

सिर्फ रोज डे ही नहीं, वेलेंटाइन डे पर भी दे गुलाब, जानें हर रंग के रोज का मतलब

फरवरी आते ही गुलाबों की बिक्री बढ़ जाती है. कई कपल्स बेताबी से वैलेंटाइन वीक का इंतजार करते हैं. वैलेंटाइन वीक 7 फरवरी से शुरू होता है और 14 फरवरी को वैलेंटाइन डे तक चलता है। इस हफ्ते में, टेडी डे, चॉकलेट डे जैसे विभिन्न दिन मनाए जाते हैं.। वैलेंटाइन वीक कम से कम एक त्योहार के बराबर है। यह हफ्ता 7 फरवरी को रोज डे से शुरू होता है. रोज डे पर, लोग एक दूसरे को गुलाब के फूल भेजकर अपने भावनाओं को व्यक्त करते हैं. लेकिन गुलाब के फूल देने की प्रक्रिया अन्य दिनों पर भी जारी रहती है।

कुछ प्रेमी अपने साथी को लाल गुलाब से अपना प्रेम व्यक्त करते हैं. तो कुछ लोग येलो, व्हाइट, पिंक रंग के गुलाब भेजकर रोज डे, हग डे, प्रमिस डे, प्रपोज डे और वैलेंटाइन डे की शुभकामनाएं देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि हर रंग का गुलाब अपनी अलग पहचान होती है और यह एक विभिन्न प्रकार की भावना को व्यक्त करता है।

लाल गुलाब
लाल रंग प्रेम और उत्साह का प्रतीक है. लोग अपने पार्टनर के साथ इसे लाल गुलाब के माध्यम से अपना प्रेम व्यक्त करते हैं. इसी कारण है कि लाल गुलाब न केवल रोज डे बल्कि पूरे वैलेंटाइन वीक में सबसे अधिक मांगा जाने वाला है और इसकी कीमत भी अन्य गुलाबों के मुकाबले काफी बढ़ जाती है।

पिंक गुलाब
पिंक रंग बहुत सी लड़कियों का पसंदीदा है. पिंक गुलाब सौंदर्य और लज्जा का प्रतीक माना जाता है. हल्का पिंक गुलाब सहानुभूति को दर्शाता है और गहरा पिंक गुलाब कृतज्ञता की भावना को दर्शाता है।

सफेद गुलाब
सफेद रंग पवित्रता, सरलता और शांति का प्रतीक है. सफेद गुलाब उसके प्रति प्रेम, इज्जत और सम्मान दिखाने के लिए दिया जाता है. कई लोग हर दिन अपने माता-पिता और अन्य परिवार के सदस्यों को भी सफेद गुलाब देते हैं. यदि आप किसी से माफी मांगना चाहते हैं, तो आप सफेद गुलाब की मदद ले सकते हैं।

बैंगनी गुलाब
हल्का बैंगनी रंग को लैवेंडर रंग कहा जाता है. लैवेंडर गुलाब अपनी दिखाई में जितना सुंदर है, उसका अर्थ भी उतना ही अद्भुत है. लैवेंडर रंग मायावी या मोहित होने का प्रतीक माना जाता है. लैवेंडर गुलाब को अक्सर एकतरफ़ा प्रेम व्यक्त करने के लिए दिया जाता है।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।