कुमाऊं विवि ने स्नातक तृतीय वर्ष की उत्तर पुस्तिकाओं का पुनर्मूल्यांकन करवाकर परिणाम जारी करने का दावा किया है। दोबारा आए रिजल्ट में विवि की लापरवाही उजागर हुई है।
लापरवाही 1 : बीए तृतीय वर्ष के एक छात्र का परिणाम तीन बार संशोधित किया गया। उसे समाज शास्त्र के द्वितीय पेपर में पहले पास दिखाया गया, अंतिम संशोधन यानी बुधवार को जारी हुए परिणाम में फेल कर दिया गया।
एमबीपीजी कालेज में गुरुवार को हुए छात्रों के हंगामे के दौरान विवि की लापरवाही सामने आई है। प्रभावित छात्र राहुल आर्या ने बताया कि 24 जून को बीए तृतीय वर्ष का परिणाम घोषित हुआ था। इसमें समाज शास्त्र के पहले पेपर में चार नंबर दिए गए थे, जबकि द्वितीय पेपर में अनुपस्थित दिखाया गया था। उन्होंने परीक्षा दिए जाने का प्रमाण लगाकर विवि को प्रार्थना पत्र दिया। इसके बाद 12 जुलाई को परिणाम अपडेट किया गया और दूसरे पेपर में उन्हें 44 अंक दिए गए।
वहीं 20 जुलाई को आनलाइन अंकपत्र फिर से संशोधित हुआ और समाज शास्त्र के दूसरे पेपर में 47 अंक कर दिए गए। इसके बाद तीसरी बार बुधवार को रिजल्ट फिर से अपडेट हुआ है। इसमें पहले पेपर में तो चार नंबर ही हैं, लेकिन दूसरे में अंक घटाकर 30 कर दिए गए हैं। ऐसे में वह फेल हो गए हैं।
इस स्थिति में उन्हें समझ नहीं आ रहा है कि उनको असल में कितने अंक प्रदान किए गए। इसे लेकर छात्र ने अब आरटीआइ से उत्तर पुस्तिका मांगी है। साथ ही कालेज प्रशासन को भी चारों अंकपत्र की प्रति भी शिकायती पत्र के साथ दी है।
लापरवाही 2 : बीए में पहले से उत्तीर्ण छात्र के तीन-तीन नंबर बढ़ाए
एमबीपीजी कालेज में बीए तृतीय वर्ष के छात्र नीरज शर्मा ने बताया कि वह पहले से पास थे। समाज शास्त्र में उन्हें 20 और 34 अंक प्राप्त हुए।
ऐसे में उन्होंने अंकों को लेकर किसी प्रकार का पत्र नहीं सौंपा था, लेकिन बुधवार को अपडेट हुआ परिणाम देखा तो उनको दोनों पेपर में तीन-तीन अंक बढ़ाकर दिए गए हैं। ऐसे में उन्होंने विवि की ओर से किए जा रहे पुनर्मूल्यांकन के दाबों पर सवाल खड़े किए हैं।
लापरवाही 3 : विवि अधिकारियों ने छात्र को आरटीआइ लगाने से मना किया
बीए तृतीय वर्ष के छात्र तरुण कुमार ने बताया कि वह समाज शास्त्र में फेल थे। ऐसे में वह आरटीआइ से कापी निकालवाने के लिए विवि गए। ऐसे में अधिकारियों ने उनसे आरटीआइ लगाने से मना कर दिया। कापियों के पुनर्मूल्यांकन की बात कही।
वहीं, बुधवार को दोबारा जारी हुए परिणाम में देखा तो उनके नंबर नहीं बढ़े हैं।
लापरवाही 4 : विवि की लापरवाही से भर्ती परीक्षा को नहीं कर पाए आवेदन
बीए तृतीय वर्ष के छात्र अजय कुमार ने बताया कि उन्होंने डिग्री का पांच सौ रुपये शुल्क आनलाइन जमा किया था। इसके बाद परीक्षा परिणाम खुलने की बात कही गई थी। मगर तीन बार शुल्क भुगतान करने के बाद भी परिणाम नहीं खुला।वहीं विवि प्रशासन फिर से आनलाइन फीस जमा कराने को कह रहा है। बताया कि उन्होंने भर्ती परीक्षा का फार्म भरना था और परिणाम नहीं मिलने से आवेदन नहीं कर पाए।
Leave a Reply