जनजातीय गौरव दिवस पर राजभवन में हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

देहरादून। राजभवन में जनजातीय गौरव दिवस के अवसर पर विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया, जिसमें देश की विविध जनजातीय संस्कृतियों की अनूठी छटा देखने को मिली। इस कार्यक्रम में उत्तराखण्ड की जौनसारी और भोटिया जनजाति के लोगों के साथ-साथ अरुणाचल प्रदेश, झारखण्ड, त्रिपुरा और नागालैण्ड की जनजातियों ने अपनी सांस्कृतिक प्रस्तुतियों के माध्यम से अपनी समृद्ध परंपराओं और लोक नृत्य का मनमोहक प्रदर्शन किया।

इन प्रस्तुतियों में जनजातीय समुदायों की संस्कृति की जीवंतता और उनकी परंपराओं की विविधता को प्रस्तुत किया गया, जिसे दर्शकों ने अत्यंत उत्साह और सराहना के साथ देखा। इस अवसर पर झारखण्ड राज्य का स्थापना दिवस भी मनाया गया जिसमें झारखण्ड के निवासियों ने प्रतिभाग कर सांस्कृतिक नृत्य प्रस्तुत किए।

कार्यक्रम में प्रतिभाग करते हुए राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (से नि) ने कहा कि भारत की सांस्कृतिक विविधता में जनजातीय समाज का महत्वपूर्ण योगदान है, जिनकी अपनी विशिष्ट बोली, खान-पान और पहनावा है। उन्होंने जनजातीय समाज के साहस, समर्पण, और प्रकृति के साथ सामंजस्यपूर्ण जीवन शैली की प्रशंसा की, साथ ही उन योद्धाओं को भी याद किया जिन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ संघर्ष किया और हमारी समृद्ध विरासत की रक्षा की। उन्होंने जनजातीय समाज से वन संपदा के संरक्षण और जलवायु परिवर्तन के प्रति उनके दृष्टिकोण से प्रेरणा लेने का आग्रह किया।

राज्यपाल ने उत्तराखण्ड की जनजातियों के योगदान की सराहना करते हुए कहा कि राष्ट्रपति द्वारा राज्य की जनजातीय समुदाय से मुलाकात भी की गई थी, जिससे वे बहुत प्रभावित हुईं। उन्होंने आर्थिक रूप से सशक्त होने और सामूहिक प्रयासों से जनजातीय उत्थान की आवश्यकता पर जोर दिया, और शिक्षा एवं रोजगार में उन्हें सहयोग देने की जिम्मेदारी को रेखांकित किया।

इस अवसर पर सचिव डॉ. नीरज खैरवाल, अपर सचिव राज्यपाल स्वाति एस. भदौरिया, निदेशक जनजाति कल्याण संजय टोलिया, अपर निदेशक योगेंद्र रावत, उप निदेशक जनजातीय कल्याण भारत सरकार राहुल कुमार, समन्वयक राजीव कुमार सोलंकी सहित अनेक लोग उपस्थित रहे।

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