400 धाराएं, लड़कियों की शादी की कानूनन उम्र 21 साल… CM धामी को सौंपा गया यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट

जस्टिस रंजना प्रकाश देसाई की अध्यक्षता में समिति ने आज सुबह 11 बजे मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को यूनिफॉर्म सिविल कोड का ड्राफ्ट सौंपा. सरकार ने UCC के लिए 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. अब सरकार इसे कल होने वाली कैबिनेट बैठक में मंजूरी देगी.

उत्तराखंड में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू करने की दिशा में अहम प्रगति हुई है. मुख्य सेवक सदन में आयोजित एक कार्यक्रम में UCC समिति की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने मसौदा समिति के सदस्यों के साथ उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को UCC मसौदा रिपोर्ट सौंपी.

धामी सरकार ने UCC के लिए 27 मई 2022 को पांच सदस्यीय कमेटी का गठन किया था. ड्राफ्ट मिलने के बाद अब सरकार इसे कल होने वाली कैबिनेट मे मंजूरी देगी. माना जा रहा है कि धामी सरकार 6 फरवरी को UCC को विधेयक के रूप में विधानसभा में पेश कर सकती है.

देहरादून में यूसीसी कार्यालय पिछले तीन दिनों से प्रतिदिन 15 घंटे से अधिक काम कर रहा है. समिति के सदस्य दिन-रात रिपोर्ट तैयार करने में सक्रिय हैं. सूत्रों का कहना है कि मसौदे में 400 से अधिक धाराएं शामिल हो सकती हैं, जिसका लक्ष्य पारंपरिक रीति-रिवाजों से उत्पन्न होने वाली विसंगतियों को खत्म करना है. यहां कुछ प्रावधान दिए गए हैं जो यूसीसी में दिख सकते हैं, जैसे-
  • समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने के बाद बहुविवाह पर रोक लग जाएगी और बहुविवाह पर पूरी तरह से रोक लग जाएगी.
  • लड़कियों की शादी की कानूनी उम्र 21 साल तय की जा सकती है.
  • लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों को अपनी जानकारी देना अनिवार्य होगा और ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को जानकारी प्रदान करनी होगी.
  • लिव-इन रिलेशनशिप में रहने वालों के लिए पुलिस में रजिस्ट्रेशन जरूरी होगा.
  • विवाह के बाद अनिवार्य पंजीकरण की आवश्यकता हो सकती है. प्रत्येक विवाह का संबंधित गांव, कस्बे में पंजीकरण कराया जाएगा और बिना पंजीकरण के विवाह अमान्य माना जाएगा.

 

  • विवाह पंजीकरण नहीं कराने पर किसी भी सरकारी सुविधा से वंचित होना पड़ सकता है.
  • मुस्लिम महिलाओं को भी गोद लेने का अधिकार होगा और गोद लेने की प्रक्रिया सरल होगी.
  • लड़कियों को भी लड़कों के बराबर विरासत का अधिकार मिलेगा.
  • मुस्लिम समुदाय के भीतर इद्दत जैसी प्रथाओं पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है.
  • पति और पत्नी दोनों को तलाक की प्रक्रियाओं तक समान पहुंच प्राप्त होगी.
  • नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी और उसे मुआवजा मिलेगा.
  • पति की मृत्यु की स्थिति में यदि पत्नी पुनर्विवाह करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता के साथ साझा किया जाएगा.
  • यदि पत्नी की मृत्यु हो जाती है और उसके माता-पिता को कोई सहारा नहीं मिलता है, तो उनकी देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी.
  • अनाथ बच्चों के लिए संरक्षकता की प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा.
  • पति-पत्नी के बीच विवाद के मामलों में बच्चों की कस्टडी उनके दादा-दादी को दी जा सकती है.
  • बच्चों की संख्या पर सीमा निर्धारित करने सहित जनसंख्या नियंत्रण के लिए प्रावधान पेश किए जा सकते हैं.
  • पूरा मसौदा महिला केंद्रित प्रावधानों पर केंद्रित हो सकता है. आदिवासियों को यूसीसी से छूट मिलने की संभावना है.

 

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