देहरादून। एकेश्वर ब्लाक क्षेत्र के सीमारखाल में प्रथम सूबेदार मेजर यशवंत सिंह असवाल स्मृति वॉलीबॉल प्रतियोगिता 7 जून से शुरू हाेने जा रही है। प्रतियोगिता की सभी तैयारियां लगभग पूरी कर ली गई है। दो दिन तक चलने वाली इस स्पर्धा में जिले भर की टीमें हिस्सा लेने के लिए पहुंचेगी। सीमारखाल के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में आयोजित होने वाली यह प्रतियोगिता पहली बारआयोजित की जा रही है। वॉलीबॉल प्रतियोगिता में सभी वर्ग के खिलाड़ी भाग लेंगे। खेल के आयोजक कुलदीप असवाल ने बताया कि उनके पिता जी सूबेदार मेजर स्वर्गीय यशवंत सिंह असवाल की स्मृति में यह प्रतियोगिता शुरू की जा रही है। उन्होंने बताया कि आने वाले समय में प्रतियोगिता को वृहद रूप दिया जाएगा।उन्होंने बताया की प्रतियोगिता में 20 से अधिक टीमों के हिस्सा लेने की संभावना है। उन्होंने बताया कि क्षेत्र की लगभग 20 टीमें भाग लेंगी। विजेता टीम को 3100 रुपए नकद और ट्रॉफी दी जाएगी। उपविजेता टीम को 2100 रुपए और ट्रॉफी मिलेगी। प्रतियोगिता में बेहतर प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को नकद इनाम एवं ट्राफी प्रदान किया जाएगा। उन्होंने खेल प्रेमियों के साथ ही क्षेत्र के लोगों से प्रतियोगिता में पहुंचकर खिलाडियों और आयोजकों का हौंसला बढ़ाने की अपील की है। पौड़ी जिले के एकेश्वर ब्लाक के ग्राम सुन्ना में आजाद हिंद फौज के सिपाही भूपाल सिंह असवालऔर चुन्नी देवी असवाल के घर जन्मे यशवंत सिंह असवाल में बचपन से ही खेल के प्रति जुनून भरा हुआ था। उन्होंने स्योली स्कूल से पढ़ाई की। स्कूली समय से ही उनका खेलों के प्रति लगाव और झुकाव रहा। वे स्कूली स्तर और ग्राम पंचायत स्तर पर आयोजित होने वाले सभी खेलों में हिस्सा लेते थे। खेलों के प्रति जुनून उन्हें सेना की ओर ले गया और लंबे कद काठी के यशवंत सिंह असवाल सेना के हिस्सा बन गए और सेना में जाने के बाद उन्होंने अपने खेल के शौक को जीवंत रखा और सूबेदार मेजर के पद तक पहुंचे। सूबेदार मेजर यशवंत सिंह असवाल वॉलीबॉल और बास्केटबॉल के एक बेहतरीन खिलाड़ी थे। सेना से अवकाश लेने के बाद उन्होंने मैदानी क्षेत्रों में बसने के बजाय अपनी जन्मभूमि सुन्ना की ओर रुख किया और क्षेत्र की खेल प्रतिभाओं को उभारने के लिए कड़ी मेहनत की। उन्होंने निस्वार्थ भाव से विभिन्न स्कूलों में छात्रों को विभिन्न खेलों की विधाओं से रूबरू कराया। उन्होंने राजकीय इंटर कॉलेज एवं राजकीय बालिका इंटर कालेज की छात्र, छात्राओं को बास्केटबॉल, बॉलीवाल की ट्रेनिंग देकर उन्हें खेल के क्षेत्र में ऊंचाई तक पहुँचाया इन दोनों स्कूलों के खिलाडियों ने राष्ट्रीय स्तर तक अपनी छाप छोड़ी। उनके द्वारा प्रशिक्षित कई युवा खेल कोटे से सेना में भर्ती हुए और देश की सेवा कर रहे हैं। उनके दोनों पुत्र कुलदीप असवाल और प्रदीप असवाल भी अपने पिता के नक्शे कदम पर चलते हुए भारतीय सेना में भर्ती हुए।

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