April 24, 2025

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सहायता करने का दिया आश्वासन

देहरादून । मुख्य सचिव आनन्द बर्द्धन ने सचिवालय में बीएसएनएल, एयरटेल एवं जियो नेटवर्क के राज्य स्तरीय अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने प्रदेश में 4जी व 5जी नेटवर्क की उपलब्धता के लिए सर्विस प्रोवाईडरों को आ रही समस्याओं के निराकरण के लिए हर सम्भव सहायता उपलब्ध कराए जाने का आश्वासन दिया।
मुख्य सचिव ने समस्याओं के निस्तारण के लिए राज्य स्तरीय एवं जनपद स्तरीय समितियों के गठन की बात कही। उन्होंने सर्विस प्रोवाईडरों की समस्याओं के निराकरण के लिए निदेशक आईटीडीए को नोडल अधिकारी बनाए जाने के निर्देश दिए। उन्होंने निर्देश दिए कि नोडल अधिकारी स्तर पर माह में दो बार एवं सचिव आईटी स्तर पर माह में एक बार समीक्षा की जाए ताकि 100 प्रतिशत 4जी सैचुरेशन का लक्ष्य प्राप्त किया जा सके। उन्होंने यूपीसीएल से भी नोडल अधिकारी नामित किए जाने की बात कही ताकि सर्विस प्रोवाईडरों को कार्यों में आ रही समस्याओं के समाधान के लिए सक्षम स्तर के अधिकारी से सम्पर्क किया जा सके। मुख्य सचिव ने बीएसएनएल को प्रदेश में 4जी नेटवर्क सैचुरेशन कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए। उन्होंने सभी नेटवर्क प्रोवाईडरों को चारों धामों में नेटवर्क एरिया बढ़ाए जाने की बात कही। कहा कि राज्य में नेटवर्क गुणवत्ता बेहतर बनाए जाने हेतु हर सम्भव सहायता उपलब्ध करायी जाएगी।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।