देहरादून। मुख्य सचिव आनंद बर्द्धन ने नई दिल्ली में सचिव जल शक्ति मंत्रालय सुश्री देवाश्री मुखर्जी से भेंट कर किशाऊ बहुउद्देशीय परियोजना (660 मेगावाट) और सेला उरथिंग जलविद्युत परियोजना (114 मेगावाट) से जुड़े लंबित मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने किशाऊ परियोजना में देरी और लागत वृद्धि पर गंभीरता से सचिव जल शक्ति मंत्रालय से विचार विमर्श किया। उत्तराखंड द्वारा इस परियोजना की अतिरिक्त लागत को केंद्र की विशेष सहायता योजना (एसएएस) के तहत स्वीकारा, जबकि हिमाचल प्रदेश ने विद्युत घटक के लिए 90 प्रतिशत केंद्रीय वित्तपोषण या ब्याजमुक्त ऋण की मांग रखी। परियोजना के लिए जल बंटवारा समझौता अभी भी लंबित है। सेला उरथिंग परियोजना को केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण द्वारा गंगा बेसिन का हवाला देकर सर्वेक्षण सूची से हटाया गया, जिस पर उत्तराखंड ने आपत्ति जताई। राज्य ने स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र गंगा बेसिन में नहीं आता और किसी न्यायिक प्रतिबंध के अधीन भी नहीं है। उन्होंने उत्तराखंड की दोनों परियोजनाओं को शीघ्र स्वीकृति देने का अनुरोध किया, जिससे राज्य की ऊर्जा जरूरतें पूरी होंगी और सीमावर्ती क्षेत्रों का विकास संभव होगा
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