April 24, 2025

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जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को अस्पताल से जल्द मिलेगी छुट्टी

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज को अस्पताल से जल्द मिलेगी छुट्टी

जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज से मिले पूर्व सीएम त्रिवेंद्र

चिकित्सकों ने कहा, स्वास्थ्य में हो रहा सुधार

देहरादून। पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने तुलसी पीठाधीश्वर जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य महाराज के स्वास्थ्य का हाल लिया। कुछ दिनों से स्वामी रामभद्राचार्य अस्वस्थ चल रहे हैं और बीते शनिवार उन्हें निजी अस्पताल में भर्ती किया गया। जहाँ विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में उनका सघन जांच एवं उपचार किया जा रहा है।

पूर्व सीएम ने उपचार कर रहे डॉक्टर्स की टीम ( डॉ. लवकुश, डॉ. सुधीर और डॉ. अमर पाल) से स्वामी के स्वास्थ्य की जानकारी ली। डॉक्टरों ने बताया कि उनके स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है और शीघ्र ही उन्हें डिस्चार्ज किया जाएगा। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा की प्रसन्नता की बात है कि राम जी की कृपा से स्वामी के स्वास्थ्य में तेजी से सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि सैकड़ों धार्मिक और आध्यात्मिक ग्रंथों की रचना करने वाले और हमारे राष्ट्र की धरोहर पूज्य स्वामी शीघ्र स्वस्थ होकर लौटें और राममय भारत का पुनः मार्गदर्शन करें ऐसी हम सब कामना करते हैं।

इस अवसर पर निवर्तमान मेयर देहरादून सुनील उनियाल (गामा), अस्पताल प्रशासन आदि मौजूद थे।

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देहरादून। उत्तराखंड के प्रसिद्ध रंगकर्मी और मेघदूत नाट्य संस्था के संस्थापक एस.पी. ममगाईं ने यूनेस्को द्वारा भारत की प्राचीन धरोहर भरत मुनि रचित “नाट्य शास्त्र” को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किए जाने का स्वागत करते हुए इसे देर से उठाया गया सही कदम बताया है। उन्होंने कहा कि 36 अध्याय और नौ रस से युक्त नाट्य शास्त्र को भारतीय ज्ञान परम्परा में पंचम वेद माना गया है। श्री ममगाईं के अनुसार जब शेष दुनिया कबीलाई अवस्था में थी, तब ईसा से करीब पांच सौ वर्ष पूर्व भरत मुनि ने नाट्य शास्त्र की रचना कर दी थी। विगत 18 अप्रैल को यूनेस्को ने भारत की दो धरोहरों क्रमश: भगवद्गीता और नाट्य शास्त्र को मेमोरी ऑफ वर्ल्ड रजिस्टर में शामिल किया है। ममगाईं ने कहा कि भारतीय वांग्मय में वेदों के सार को नाट्य रूप में प्रदर्शन कला के जरिए दृश्य – श्रवण रूप में प्रस्तुत किए जाने की कदाचित विश्व की यह प्रथम विधा है। इस दृष्टि से यूनेस्को ने बहुत देर से एक अच्छा प्रयास किया है। उन्होंने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा में अभी भी अनेक ऐसे ग्रन्थ हैं, जो यूनेस्को की बाट जोह रहे हैं। बहरहाल देश के अमृत काल में यह एक बड़ी उपलब्धि है और दुनिया के तमाम रंगकर्मियों के लिए यह हर्षित होने का अवसर है। अब यह ज्ञान उन लोगों तक भी सहज सुलभ होगा जो अभी तक इससे वंचित थे। ममगाईं ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा शताब्दियों से विश्व को सांस्कृतिक चेतना और सभ्यता से पुष्पित – पल्लवित करती आई है, यह अलग बात है कि पश्चिम की दृष्टि भारत के प्रति कभी उदार नहीं रही लेकिन अब उम्मीद जग रही है कि भारत की महत्वपूर्ण विरासत को संरक्षण देने और उसकी पहुंच विश्व के हर संवेदनशील नागरिक तक सहज बनाने के प्रयास तेज होंगे। उन्होंने कहा कि नाट्य शास्त्र भरत मुनि की कृति ऐतिहासिक और सामाजिक महत्व की दृष्टि से महान रचना है। विश्व को भारतीय ज्ञान परम्परा का इससे सहज बोध होगा। श्री ममगाईं ने इस बात पर जोर दिया कि भरत मुनि का नाट्य शास्त्र प्रदर्शन कलाओं की दृष्टि से विश्व का सबसे पुराना और प्रामाणिक ग्रंथ है और इसकी महत्ता इससे बढ़ जाती है कि सदियों बाद भी उस पर टीकाएं लिखी गई, यह क्रम आज भी निरंतर जारी है। इसीलिए भारतीय मनीषियों ने इसे पंचम वेद के रूप में निरूपित किया है। उन्होंने यूनेस्को के इस निर्णय को भारतीय रंगकर्म परम्परा के लिए बड़ी उपलब्धि बताया है।