December 17, 2025

कवि जसवीर सिंह हलधर का हिंदी पखवाड़े पर एक छंद

कवि जसवीर सिंह हलधर का हिंदी पखवाड़े पर एक छंद

जसवीर सिंह हलधर
देहरादून, उत्तराखंड


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शब्द अर्थ हीन हुए, भाव से विहीन हुए,
हिंदी भाषा हिन्द में ही, शर्मसार हो रही।

अंग्रेजी का है बाजार, हिंदी दीखती लाचार,
साहित्य की साधना से, लूटमार हो रही।।

सोलह दिन मान श्राद, हिंदी को करें हैं याद,
बाकी पूरे साल भाषा, जार जार हो रही।

भद्दे चुटकुलों पर, तालियों के गूँजें स्वर,
मंचों वाली कविता भी, तार तार हो रही।।