देहरादून। पब्लिक को अपनी बात रखने के लिए एक सशक्त प्लेटफ़ॉर्म की ज़रूरत है, क्योंकि उनकी आवाज़ सुनी नहीं जा रही। आज देश के पर्वतीय राज्यों में स्थिति इतनी गंभीर और विकट है कि खुद सुप्रीम कोर्ट के माननीय न्यायमूर्ति संजय करोल ने अपने 40 साल के करियर में पहली बार मीडिया के सामने आकर हिमालयी राज्यों की बदहाल हालत पर अपनी चिंता जताई है। उन्होंने स्पष्ट कहा कि प्रशासन जनता की सुनवाई नहीं कर रहा और लोगों को ऐसे मंच चाहिए, जहां वे अपनी समस्याएँ और विचार रख सकें। इतना ही नहीं, उन्होंने सुझाव दिया कि देश के सभी पर्वतीय राज्य उत्तराखंड के ऐतिहासिक चिपको आंदोलन की तर्ज पर नए आंदोलन खड़े करें। यह हमारे मौजूदा तथाकथित विकास मॉडल पर सबसे बड़ा सवाल है जिसे अब खुद सुप्रीम कोर्ट के माननीय सिटिंग जज महोदय ने भी सार्वजनिक तौर पर उठाया है। इस संदेश के माध्यम से मेरी अपील है कि उत्तराखंड समेत सभी पर्वतीय राज्यों के लोग इस मुद्दे पर बेधड़क आगे आएं और अपने वर्तमान व भविष्य की सुरक्षा के लिए सक्रिय भागीदारी करें। अगर आप राजनैतिक, प्रशासनिक, सामाजिक या अपने बिज़नेस इंटेरेट्स के कारण सामने नहीं आ सकते तो कम से कम अपने नज़दीकी लोगों को इन चुनौतियों को लेकर अवश्य जागरूक करें क्योंकि अगर वर्तमान के ये गंभीर हालात नहीं बदले तो आने वाले कल में हम सबको मिलकर इस आपदा का दंश झेलना ही पड़ेगा।
समस्त हिमालयन राज्यों में हो चिपको आंदोलन
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