May 21, 2025

कवि राजेश कुमार की एक रचना… महक तेरी मुहब्बत की

कवि राजेश कुमार की एक रचना… महक तेरी मुहब्बत की

राजेश कुमार
गुरुग्राम, हरियाणा


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महक तेरी मुहब्बत की
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इत्र क्या, गुलाब क्या, खुशबु कैसी,
कहां महक है इस जहान मे, तेरी जैसी

खुदा की खोज मे शीश झुकाया दर-दर,
कहां है पूजा कोई, तेरे आचमन जैसी

होंगे कई तेरे चाहने वाले, समझ है मुझको,
ना कही होगी तपन, मेरे प्यार की जैसी

सुबह की ओस मे, तुम संवरने जो लगे,
चुभन दिखाई हमें, टूटते स्वप्न जैसी

राज कुछ है ही नही और कोई राज नही
यूं ही हो गयी ये गजल, जान समन्दर जैसी