उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार की कैबिनेट से यूनिफॉर्म सिविल कोड के ड्राफ्ट प्रपोजल को मंजूरी दिए जाने के बाद विवाद गहराने लगा है। मुस्लिम पक्ष ड्राफ्ट प्रस्ताव को लेकर हमलावर हो गया है। देहरादून शहर काजी ने यूनिफॉर्म सिविल कोड को एक धर्म विशेष के खिलाफ करार दिया है।
उत्तराखंड की पुष्कर सिंह धामी सरकार प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू करने की तैयारी कर रही है। यूनिफॉर्म सिविल कोड को लागू किए जाने के चरणों की शुरुआत हो चुकी है। सुप्रीम कोर्ट की रिटायर्ड जस्टिस रंजना देसाई कमिटी ने अपनी ड्राफ्ट रिपोर्ट सीएम पुष्कर सिंह धामी को सौंपी। सीएम धामी ने ड्राफ्ट रिपोर्ट मिलने के बाद कैबिनेट से मंजूरी दिला दी है। आज विधानसभा में यूनिफॉर्म सिविल कोड की ड्राफ्ट रिपोर्ट को पेश किया जाएगा। विधानसभा की मंजूरी मिलते ही उत्तराखंड देश का पहला राज्य बन जाएगा, जिसकी विधानसभा में समान नागरिक संहिता पर बहस होगी। धामी सरकार के इस निर्णय ने उत्तराखंड में माहौल गरमा दिया है।
मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस इस मामले में काफी सोच- विचार के बाद अपना पक्ष रख रही है। पार्टी को डर बहुसंख्यक वोट बैंक के नाराज होने का है। वहीं, मुस्लिम नेताओं की ओर से खुलकर इस मामले में बयान सामने आ रहे हैं। धार्मिक नेताओं के भी बयान सामने आ रहे हैं। धामी सरकार को यूसीसी लागू होने के परिणाम की चेतावनी देने वाले देहरादून के शहर काजी का एक बार फिर बयान सामने आया है। उन्होंने इसे धर्म विशेष यानी मुस्लिमों के खिलाफ बताया है.
मुस्लिम समुदाय के लोगों ने प्रदेश में यूनिफॉर्म सिविल कोड लागू किए जाने का विरोध शुरू कर दिया है। उन्होंने इसे कुरान, शरीयत, मुस्लिम पर्सनल लॉ पर अतिक्रमण करार दिया है। अब लड़ाई सड़क से लेकर कोर्ट तक लड़े जाने की बात कही जाने लगी है। पलटन बाजार स्थित जामा मस्जिद में शहर काजी मौलाना मोहम्मद अहमद कासमी और इमाम संगठन के प्रदेश अध्यक्ष मुफ्ती रईस काशमी ने यूसीसी पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने कहा कि यूसीसी में मुस्लिम समुदाय की आपत्तियों को दरकिनार किया गया है।
शहर काजी ने कहा कि यूसीसी केवल एक धर्म विशेष के खिलाफ है। हम इसका कड़ा विरोध करते हैं। उन्होंने कहा कि जब ड्राफ्ट सामने आएगा तो उसका विस्तृत अध्ययन किया जाएगा। संवैधानिक दायरे में रहकर लड़ाई लड़ी जाएगी। आर्टिकल 25 के तहत हर धर्म को मानने वाले व्यक्ति को अपने धर्म पर चलने की आजादी है। केंद्र सरकार की ओर से संविधान में संशोधन किया जाए, उसके बाद यूसीसी लागू किया जाए। अगर ऐसा नहीं होता है तो दो कानून आपस में टकराएंगे।
मुफ्ती रईस कशमी ने कहा कि सरकारी मुफ्ती यूसीसी का समर्थन कर रहे हैं, क्योंकि उनकी मंशा अलग है। कुरान, हदीस, शरीयत की जानकारी न रखने वाले लोग गलत प्रचार कर रहे हैं। इस दौरान मुफ्ती ताहिर, खुर्शीद अहमद, मौलाना हाशिम, मोहम्मद इरशाद आदि मौजूद रहे।
मुस्लिम सेवा संगठन के अध्यक्ष नईम कुरैशी और उपाध्यक्ष आकिब कुरैशी ने कहा कि यूसीसी धर्म विशेष पर सीधा प्रहार है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यूसीसी प्रावधानों में से चार सीधे मुस्लिम पर्सनल लॉ पर हमला करते हैं। यूसीसी लाने का मतलब मुस्लिम लॉ को खत्म करना है। यूसीसी ड्राफ्टिंग कमेटी में किसी भी धार्मिक धर्मगुरु या धर्म के जानकार को नहीं लिया गया। उन्होंने अनुसूचित जनजातियों को बाहर रखने पर भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए।
बसपा विधायक मोहम्मद शहजाद ने यूसीसी को लेकर धामी सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि यूसीसी के नाम पर सरकार समाज को बांटने का काम कर रही है। संविधान के अनुसार सभी को अपने धर्म के अनुसार जीने का अधिकार है। यूसीसी के जरिए सरकार लोगों की धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला कर रही है। विधायक ने सवाल किया कि सरकार बताए, यूसीसी का ड्राफ्ट तैयार करते समय किस धर्म और वर्ग के लोगों की राय ली गई।
बसपा विधायक ने कहा कि यूसीसी लाए जाने से सिर्फ मुकदमों की संख्या बढ़ेगी और कुछ भी हासिल नहीं होगा। उन्होंने कहा कि बसपा यूसीसी का विरोध करती है। विधानसभा सत्र के दौरान सदन में भी इसके खिलाफ आवाज उठाई जाएगी।
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