यह बहुत विंडबना वाली स्थिति है कि केंद्र सरकार ने अचानक राज्यों को चावल बेचने पर रोक लगा दी और अब उसके चावल के खरीदार नहीं मिल रहे हैं। पिछले दिनों केंद्र सरकार ने भारतीय खाद्य निगम यानी एफसीआई को निर्देश दिया कि वह घरेलू बाजार के लिए लागू ओपन मार्केट स्कीम के तहत राज्यों को चावल बेचना बंद करे। इसके बदले सरकार ने ई-ऑक्शन के जरिए चावल बेचने का निर्देश दिया। सरकार ने जब यह आदेश जारी किया तो कहा गया कि कर्नाटक की कांग्रेस सरकार की मुफ्त चावल बांटने की योजना को फेल करने के लिए ऐसा किया जा रहा है। कांग्रेस ने कहा कि एफसीआई ने कर्नाटक सरकार को चावल देने पर सहमति जता दी थी लेकिन बाद में केंद्र सरकार ने उसकी अन्न भाग्य योजना को विफल करने के लिए चावल बेचने से इनकार किया है। राज्य सरकार ने बाजार की कीमत पर चावल खरीदने की इच्छा जताई थी फिर भी उसे चावल नहीं मिला।
अब खबर है कि एफसीआई ने चावल की नीलामी शुरू की तो उसे खरीदार नहीं मिला। ध्यान रहे नीलामी की प्रक्रिया में सिर्फ निजी खरीदार ही हिस्सा ले सकते हैं। सरकारों को इसमें हिस्सा लेने की अनुमति नहीं है। एफसीआई ने 3.86 लाख मीट्रिक टन चावल की नीलामी का टेंडर किया था लेकिन उसको सिर्फ 170 मीट्रिक टन की बोली मिली है। इसमें सबसे ज्यादा 70 मीट्रिक टन का ऑडर्र महाराष्ट्र का है। उसके बाद गुजरात का 50 और कर्नाटक का 40 मीट्रिक टन का ऑर्डर है। पूर्वोत्तर के राज्यों से 10 मीट्रिक टन का ऑर्डर मिला है। एफसीआई ने पंजाब के लिए डेढ़ लाख मीट्रिक टन रखा था लेकिन किसी ने बोली नहीं लगाई। एफसीआई ने नीलामी की कीमत प्रति क्विंटल 3,173 रखी है और जिस 170 मीट्रिक टन की बोली लगी है उसकी औसत कीमत 3,175.35 रुपए रही। कुछ दिन पहले खबर आई थी कि कर्नाटक सरकार 34 सौ रुपए प्रति क्विंटल की कीमत पर खरीद करने को तैयार थी।
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