हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार व डेटिंग के दौरान पकड़े जाने पर सिर्फ लड़के को गिरफ्तार किए जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की।इस दौरान सरकार की ओर से मामले में जवाब प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय मांगा गया। जिस पर कोर्ट ने समय देते हुए अगली सुनवाई तीन सप्ताह बाद तय कर दी। पिछली सुनवाई के दौरान भी कोर्ट ने मामले में केंद्र व राज्य सरकार से जवाब मांगा था।
मनीषा भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका
मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ऋतु बाहरी व न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खंडपीठ में अधिवक्ता मनीषा भंडारी की ओर से दायर जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। जिसमें कहा गया है कि नाबालिग लड़के-लड़कियों के प्यार के मामले में हमेशा लड़के को ही दोषी माना जाता है। जबकि कुछ मामलों में लड़की भी बड़ी होती है।तब भी लड़के को ही हिरासत में लिया जाता है और उसे अपराधी बनाकर जेल में डाल दिया जाता है। जबकि उसकी गिरफ्तारी के बजाय काउंसलिंग होनी चाहिए। जिस उम्र में उसे स्कूल-कालेज में होना चाहिए, वह जेल में होता है।
लड़के-लड़कियों व स्वजन की काउंसलिंग की जानी चाहिए
जुवेनाइल जस्टिस एक्ट के तहत ऐसे मामले में लड़के-लड़कियों व स्वजन की काउंसलिंग की जानी चाहिए। जबकि भारतीय दंड संहिता (अब भारतीय न्याय संहिता) में 16 से 18 साल की उम्र वालों को दंड देने के बजाय उनकी मानसिक स्थिति को जानने के लिए बोर्ड का गठन करने का प्रविधान है।इसके विपरीत पाक्सो एक्ट के कुछ धाराओं में उन्हें जेल भेज दिया जाता है। यह सोचनीय विषय है। इसलिए इस पर विचार किया जाना आवश्यक है। नाबालिगों को सीधे जेल न भेजकर उनकी काउंसलिंग की जाए।
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