36 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में 25 देशों से 65 योगाचार्योे की देखरेख में प्रवाहित हो रही ज्ञान गंगा
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में 36 वें अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन ’’वैश्विक शान्ति व स्थिरता के लिये जीवन योग’’ विषय पर विशेष आध्यात्मिक सत्र में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, श्री गौरांग दास जी, साध्वी भगवती सरस्वती जी और माँ हंसा जयदेव जी ने योगियों को योग के माध्यम से वैश्विक शान्ति व पूरे ब्रह्मण्ड में किस प्रकार स्थिरता लायी जा सकती इस पर संदेश दिया।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का आयोजन परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, संस्कृति मंत्रालय और आयुष मंत्रालय, भारत सरकार के सहयोग से किया जा रहा है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि ऋग्वेद में उल्लेख किया गया है कि ’’यस्मादृते न सिध्यति यज्ञोविपश्चितश्न य धीनां योगमिन्वति। अर्थात हमारा कोई भी कर्म योग के बिना सिद्ध नहीं होता। आज से लगभग 5000 वर्ष पूर्व ’भगवद्गीता’ में कहा गया है कि योग, मन को समत्व की स्थिति ‘समत्वम् योगमुच्यते, योग कर्मसु कौशलम्’ ’योगस्थः करू कर्माणि’ में पहुंचाता है। प्राचीन काल से ही भारत, शान्ति का अग्रदूत रहा है और उसके पीछे कही न कही योग की शक्ति रही है। भारत ने पूरे विश्व को मानवता और शान्ति का संदेश दिया है।
साध्वी भगवती ने कहा कि शास्त्रों में कहा गया है कि जैसी दृष्टि वैसी श्रृष्टि। उन्होंने योगियों को शाकाहार अपनाने की सलाह दी।
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरा दिन की शुरूआत ब्रह्ममुहूर्त 4ः30 बजे कुंडलिनी साधना हुई। तत्पश्चात आयुर्वेद, चक्र ध्यान, वैदिक ज्ञान की कक्षाओं के बाद सभी ने परमार्थ निकेतन के दिव्य वातावरण में प्रातःकाल विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया। सभी ने ज्ञानवर्धक विज़डम टॉक आध्यात्मिक सत्र में सहभाग किया। इस विज़डम टाॅक में ’’विश्व शांति और स्थिरता के लिए जीवन योग’ पर गहन विषय पर चर्चा की गई। इस उल्लेखनीय चर्चा ने वैश्विक स्तर पर एकता, स्वास्थ्य और आंतरिक शांति को बढ़ावा देने के लिए सभी की प्रतिबद्धता पर जोर दिया।
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