नई दिल्ली, एनडीए में सेलेक्ट होना हर युवा भारतीय का सपना होता है। अब इस सपने को हमारे देश की बेटियां भी पूरी कर सकेंगी। उन्हें इस साल पहली बार इस परीक्षा में बैठने का मौका मिल रहा है। इसको लेकर देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने खुशी जताई है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने एससीओ-अंतर्राष्ट्रीय वेबिनार में ‘सशस्त्र बलों में महिलाओं की भूमिका’ भूमिका विषय पर बोलते हुए कहा कि मुझे आपको यह बताते हुए खुशी हो रही है कि अगले साल से महिलाएं हमारा तीनों सेनाओं के प्रशिक्षण संस्थान, राष्ट्रीय रक्षा अकादमी(एनडीए) में शामिल हो सकेंगी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि सैन्य़ बलों में महिलाओं को शामिल करना पिछले साल शुरू हो गया है जो एक प्रमुख मील का पत्थर है जिसमें महिलाओं को सेना के रैंक और फाइल में शामिल किया गया है।
बीते सितंबर माह में सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिला अभ्यर्थियों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) की परीक्षा में बैठने की अनुमति का फैसला लैंगिक समानता के मोर्चे पर एक अहम निर्णय रहा। बेटियों की शिक्षा और सेना में लैंगिक विभेद मिटाने की नई लकीर खींचने वाले इस निर्णय में उच्चतम न्यायालय ने महत्वपूर्ण अंतरिम आदेश जारी करते हुए महिला उम्मीदवारों को राष्ट्रीय रक्षा अकादमी की परीक्षा में सम्मिलित होने की छूट देते हुए कहा था कि सेना खुद भी खुलापन दिखाए।
लेकिन इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में क्या-क्या कहा गया था और कोर्ट के आदेश पर विभिन्न पक्षों का क्या कहना है ये जानना बेहद ज़रूरी है।सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे पर जनहित याचिका डालने वाले वकील, कुश कालरा का कहना था कि लड़कियों को 12वीं के बाद एनडीए में जाने का मौक़ा नहीं मिलता था जो संविधान में उन्हें दिए गए अधिकारों का उल्लंघन है। ये चलन छह दशक से ज़्यादा समय से चला आ रहा है और यहां केवल पुरुषों को ही प्रवेश दिया जाता है।
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