February 24, 2025

Shatdal

न्यूज़ पोर्टल

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली’ … जब राष्ट्रपति बोले… मुझे देहरादून आना है आप मिलियेगा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली’ … जब राष्ट्रपति बोले… मुझे देहरादून आना है आप मिलियेगा

सुलोचना परमार ‘उत्तरांचली’
देहरादून, उत्तराखंड


——————————————————-

संस्मरण

बात 5 सितम्बर 2006 की है, जब मैं अपना नेशनल एवार्ड लेने दिल्ली पहुंची थी। पहली बार दिल्ली गई थी, तो उत्सुकता थी। अशोका होटल और अगल-बगल वाले होटलों में हमारी व्यवस्था थी रहने की। नये अनुभव हुए, डिनर के समय मंच पर वाद्य यंत्रों की मधुर धुन के साथ हम लोग भोजन करते तो विभिन राज्यों से आये शिक्षकों से परिचय हुआ। अपने राज्य उत्तराखंड के लोगों से भी हम परिचित हुए।

राष्ट्रपति जी के हाथों हमें दूसरे दिन सम्मानित होना था, तो पहले दिन रिहर्सल हुई। दूसरे दिन बहुत व्यस्त होते हुए भी हमारे हर दिल अज़ीज़ महामहिम राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम साहब एकदम सही समय पर कहीँ दूर से आये थे। ‘सभी लोगों के चेहरे ख़ुशी से दमक रहे थे। आखिर इतने महान व्यक्तित्व के हाथों सम्मानित जो होना था। हम शिक्षण के प्रति समर्पित रहें और कुछ अच्छा करे, ये सब हम लोगों से कहलवाया गया। सही बात है जब शिक्षक की सोच सही होगी तो ही वो बच्चों को किताबी ज्ञान के अलावा भी कुछ दे पाएगा।

अब हर राज्य से नाम पुकारे जाने पर हम लोग लाइन में लगते गये, अपने सम्मान पत्र लेने के लिए। जब उत्तराखण्ड की बारी आई तो अन्य लोगों से मैं बाद में थी। जब मेरी बारी आई तो महामहिम जी ने पूछा आप कहाँ से आई हैं? मैंने कहा, देहरादून से… कहने लगे हम तो देहरादून आते रहते हैं, अभी आना है मुझे वहां, तो आप जरूर मिलिएगा। मैने कहा, जी मुझे कौन आप से मिलने देगा… भीड़ बन कर रह जाऊंगी, इस पर वो चेहरा जो दो घण्टे से सीरियस था मुस्कुरा उठा।

आप उनसे कहिएगा मेने बुलायां है और हंसने लगे। अब जब मेँ मंच से नीचे अपनी सीट पर आई तो शिक्षकों और प्रिंसिपल ने कहा आपसे क्या पूछा था जो हंसे आप लोग? तो बताने पर वो भी हंस दिए। उनमे से कुछ कहने लगे हमारे साथ तो बिलकुल चुप महामहिम। हमीं हंसकर फोटो खिंचवाये हैं। बाद में जब फोटो बनकर आ गई, तो मेरी पोती कहने लगी दादी मान गए आपको… आपने राष्ट्रपति जी को भी हंसा दिया।

लेकिन, अफ़सोस देहरादून आने से पहले ही वो ईश्वर को प्यारे हो गए। इतने ऊँचे पद पर, इतने योग्य मिसाइल मैन हमारे कलाम साहब इतने सौम्य व सरल व्यक्तित्व के धनी। सच में हमारा सौभाग्य ही था कि वो हमारे राष्ट्रपति रहे। यादें ही तो हैं जो हम जी लेते हैं। नमन उनको…।