विनय अन्थवाल
देहरादून, उत्तराखंड
————————————————————————–
विनय गीत
वसुधा ही है कुटुम्ब मेरा
फिर क्यों मैं किसी से बैर करुँ।
जग में रहूँ नीरज बनकर
सद्ज्ञान से जीवन विमल करुँ।
आदर्श बने जीवन सबका
हर रोज यही मैं आश करुँ।
हर मनुज में ज्ञान का दीप जले
व्यवहार में भी सद् भाव रहे।
मानवता की पहचान यही
हर मन में केवल प्रेम रहे।
हम सुमन हैं एक ही उपवन के
न इनमें कोई मैं भेद करुँ।
सबकी राह प्रसूनों की हो
यही केवल मैं विनय करुँ।
More Stories
मुख्यमंत्री ने नरेन्द्र मोदी के मन की बात कार्यक्रम का 119वां संस्करण सुना
धामी ने प्रधानमंत्री के प्रति जताया आभार
तीन दिवसीय हिमालयन एक्सपो सम्पन्न